Monday, 26 June 2017

राष्ट्रपति चुनाव के लिए खड़ी हुईं मीरा कुमार तो लोगों ने कहा 'बैठ जाइये'




राष्ट्रपति चुनावों से पहले देश की राजनीति के साथ-साथ सोशल मीडिया का माहौल भी गर्म है. एक तरफ एनडीए के रामनाथ कोविंद को लेकर ट्विटर और फेसबुक पर लोग ट्वीट्स और पोस्ट्स दाल रहे हैं तो दूसरी तरफ विपक्ष की मीरा कुमार को लेकर भी अब सोशल मीडिया में काफी हलचल है.गुरुवार को जैसे ही विपक्ष ने राष्ट्रपति चुनावों को लेकर मीरा कुमार के नाम पर मोहर लगाई, उसके बाद से ही फेसबुक और ट्विटर पर उनको लेकर लोगों की प्रतिक्रियाएं आने लगीं. कुछ लोग उनकी जाति को लेकर बात कर रहे हैं, तो कुछ उनके बंगले से जुड़े एक पुराने किस्से की.

मीरा कुमार जब स्पीकर थीं तो वो अक्सर सांसदों को बैठ जाने के लिए कहती थीं, ट्विटर पर उनकी इसी बात का मज़ाक उड़ाया जा रहा है. लोग ट्वीट कर कह रहे हैं कि उन्हें राष्ट्रपति चुनावों में खड़े होने से पहले बैठ जाना चाहिए. ट्विटर पर उनके बैठ जाइये वाले बयां को लेकर कई सारे मज़ेदार ट्वीट्स देखने को मिले.

दूसरी तरफ ट्विटर पर मीरा कुमार के समर्थन में #MeiraKumarForPresident के नाम का हैशटैग भी ट्रेंड कर रहा है. लोग उनके समर्थन में कई सारी बातें लिख रहे हैं, लोगों का कहना है कि मीरा का विरोध करने वाले दलित और महिला विरोधी हैं. इसके साथ ही लोगों ने उनके कार्यकाल कि भी तारीफ की है.






MP Sab Kuch

एयरटेल का 'मॉनसून सरप्राइज ऑफर', हर महीने मिलेगा 10 GB फ्री डेटा



टेलीकॉम कंपनी एयरटेल कस्टमर्स को 'मॉनसून सरप्राइज ऑफर' दे रही है. इसके तहत 30जीबी 4G मोबाइल डेटा फ्री दिया जाएगा. कंपनी ने रविवार को इस बात की घोषणा की है. बता दें कि यह कंपनी की तरफ से अप्रैल महीने में दिए गए ऑफर का ही एक्सटेंशन है. उस वक्त भी कंपनी ने ग्राहकों को 30 जीबी फ्री डेटा ऑफर दिया था.

कब से दिया जाएगा ये ऑफर
कंपनी का यह ऑफर एक जुलाई से शुरू होगा. यह तीन महीने तक चलेगा.

किसे मिलेगा ऑफर
एयरटेल का यह मॉनसून सरप्राइज ऑफर सिर्फ पोस्टपेड कस्टमर्स के लिए है. मॉनसून ऑफर के तहत कस्टमर्स को हर महीने 10 जीबी डेटा फ्री मिलेगा.

ऐसे उठाए ऑफर का लाभ
इस ऑफर को पाने के लिए कस्टमर्स को 'माय एयरटेल ऐप' पर जाकर क्लेम करना होगा.






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13 सैटेलाइट से भारतीय सेना दुश्मनों पर रखेगी पैनी नजर



अब भारत के दुश्मनों की खैर नहीं है क्योंकि भारतीय सेना को और ताकतवर बनाने के लिए सरकार ने एक कदम और आगे बढ़ाया है। सेना जमीन और आकाश में अपने दुश्मनों पर निगरानी रखने के लिए इसरो की 13 सैटेलाइट का इस्तेमाल करेगी। इन 13 सैटेलाइट में हाल ही में इसरो द्वारा लांच की गई कार्टोसेट सीरीज-2 भी शामिल है। ये सभी सैटेलाइट भारतीय बॉर्डर पर अपने दुश्मनों पर कड़ी निगरानी रखेगी।

बता दें कि इसरो ने ज्यादातर रिमोट से चलने वाली इन सैटेलाइट को पृथ्वी की कक्षा के करीब स्थापित किया है, जो कि पृथ्वी की सतह से लगभग 200 से 1200 किलोमीटर की उंचाई पर लगाई गई हैं। ये सभी सैटेलाइट भारतीय सीमा में होने वाली हलचल को स्केन कर सेना को जल्द से जल्द सूचित करेगी। इनमें से कुछ रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट को भू-कक्षा में लगाया गया है। सूत्रों के मुताबिक, 712 किलो की कार्टोसेट-2 सैटेलाइट को भी शामिल किया है जो सेना को पृथ्वी की साफ तस्वीर देने में मदद करेगी।

इसरो के सूत्रों के मुताबिक, भारतीय सेना कार्टोसेट-2 सैटेलाइट के साथ-साथ कार्टोसेट-1, रीसेट-1 और रीसेट-2 सैटेलाइट से भी दुश्मनों की निगरानी करेगी।

वहीं, भारतीय जलसेना भी G-SAT सैटेलाइट की मदद से दुश्मनों पर पैनी नजर रखेगी जिसमें वो युद्धपोतों, पनडुब्बियों, विमानों से सही समय पर संपर्क साधेगी सकेगी। बता दें कि भारत एंटी-सैटेलाइट वीपन (ASAT) का इस्तेमाल कर दुश्मनों पर हमला करने की भी क्षमता रखता है और ये तकनीक केवल भारत के अलावा रूस, अमेरिका और चीन के पास ही मौजूद है। लेकिन इसरो का ऐसे प्रोजेक्ट से जुड़े रहने का कोई इरादा नहीं है।

अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक तपन मिश्रा ने बताया 'इसरो अतंरराष्ट्रीय मानदंडों पर अमल करता है जिसमें सदस्य देशों को अंतरिक्ष का गैर रूप से सैन्यकरण करने पर प्रतिबंध है।

वहीं, रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के पूर्व निदेशक और रक्षा तकनीकी विशेषज्ञ रवि गुप्ता ने कहा, लंबी दूरी तक भेदने वाली बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-वी के विकास की प्रक्रिया में तकनीकी क्षमताओं को विकसित किया गया और जरूरी हुआ तो सैटेलाइट प्रक्षेपण की मांग पर इसे फिर से दोहराया जा सकता है।

रवि गुप्ता ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि अब आमने-सामने लड़ाई करने का जमाना जा चुका है। क्योंकि नई-नई तकनीकियों की वजह से सेना दुश्मनों पर नजर रखने के लिए रिमोट सेंसिग, सूचना प्रकिया और सही समय पर संपर्क साधने वाली जैसी तकनीकियों पर निर्भर है। इसलिए सैटेलाइट रणनीति युद्ध के परिणाम को बदलने में एक अहम भूमिका निभा रही है





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नमाजियों ने फूंका पाकिस्तान का पुतला








ईद उल फितर के मुक्कद्दस मौके पर सोमवार को आगरा में मुस्लिम समाज के लोगों पाकिस्तान का पुतला फूंका। इसके साथ ही मुस्लिम समाज के लोगों ने सीमा पर भारतीय सेना के जवानों की शहादत का बदला लेने की अपील भी भारत सरकार से की है। 

आगरा में तोता के ताल पर सोमवार को ईद की नमाज के बाद मुस्लिम समाज के लोग एकत्र हुए। यहां सभी ने अपने हाथों पर काली पट्टी बांध के पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी की और इसके बाद पुतला फूंक दिया।

इस दौरान युवकों ने कहा कि मुस्लिम समाज पाकिस्तान सीमा पर हो रही भारतीय सेना के जवानों की शहादत से दुखी है। ऐसे में हम लोगों ने ईद न मनाने का फैसला लिया है। मुस्लिम युवकों का कहना है जब तक केंद्र सरकार पाकिस्तान से जवानों की शहादत का बदला नहीं ले लेती, तब तक मुस्लिम समुदाय ईद नहीं मनाएगा।





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भोपाल में लोगों ने हाथों में काली पट्टी बांधकर अदा की नमाज



मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के ईदगाह में कुछ लोगों ने काली पट्टी बांधकर ईद की नमाज अदा की. ईदगाह पर करीब एक लाख लोग नमाज अदा करने के लिए जमा हुए थे. इनमें शामिल चुनिंदा लोग लोगों ने हाथ में काली पट्टी बांधी थी.

जानकारी के अनुसार, लोगों ने मुस्लिमों पर अत्याचार होने का आरोप लगाते हुए नमाज के वक्त काली पट्टी बांधकर विरोध किया. बताया जा रहा है कि काली पट्टी बांधकर नमाज अदा करने की देशव्यापी अपील की गई थी.

सीएम शिवराज की अनुपस्थिति में भाजपा अध्यक्ष पहुंचे ईदगाह

प्रदेशभर में ईद का त्योहार बड़े हर्ष उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. ईदगाह पर बडी संख्या में मुस्लिम धर्मावलंबियों ने ईद की विशेष नमाज अदा की और देश-प्रदेश में अमन चैन की दुआ की.

ईद की नमाज अदा कर लौटे लोगों का सीएम की अनुपस्थित में प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने फूलों से स्वागत किया. नंदकुमार सिंह चौहान के साथ सांसद आलोक संजर, कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी विधायक सुरेंद्रनाथ सिंह, महापौर आलोक शर्मा, फिल्म अभिनेता रजा मुराद समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे.

नंदकुमार सिंह चौहान ने बच्चों को 100-100 रुपए की ईदी भी दी. ईदगाह पर हर बार की तरह इस बार सीएम के नहीं आने से लोगों में मायूसी भी थी.

सुरक्षा के कड़े इंतजाम

ईदगाह पर सुरक्षा के साथ ट्रैफिक के व्यापक इंतजाम किए गए. बड़ी-बड़ी इमारतों पर पुलिस जवानों को तैनात किया गया. शहरभर में आरएएफ के साथ पुलिस की बड़ी संख्या में जवान तैनात थे.

ईदगाह पर नमाज अदा करने के बाद रॉकेट आसमान की जगह जमीन पर फट गया. नमाज अदा कर बैठे लोगों में कुछ समय के लिए मामूली अफरा-तफरी मची. लेकिन कुछ ही देरी में स्थिति सामान्य हो गई.





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कॉलेज फीस के साथ नहीं देनी होगी परीक्षा फीस







दिल्ली विश्वविद्यालय में अंडर ग्रेजुएट (स्नातक) स्तर के दाखिले की फीस के दौरान परीक्षा फीस नहीं देनी होगी। डीयू प्रशासन ने इस बार कॉलेजों को दाखिला फीस के साथ परीक्षा फीस नहीं लिए जाने का आदेश दिया है। पिछले साल से कॉलेजों में दाखिले फीस के साथ ही परीक्षा फीस लेने की शुरुआत की गई थी। 

डीयू अधिकारियों के अनुसार ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि वह चाहते हैं कि पहले छात्र दाखिला लेकर स्थिर हो जाएं। उसके बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू हो। क्योंकि दाखिला प्रक्रिया पूरी होने के बाद सेमेस्टर परीक्षाएं शुरू होने में काफी समय है लिहाजा परीक्षा फीस बाद में भी ली जा सकती है। वहीं इस बार डीयू ने दाखिला फीस के लिए पूल फीस सिस्टम की शुरुआत की है। इस सिस्टम के तहत एक कॉलेज में दाखिला लेकर यदि किसी छात्र ने फीस चुका दी और वह अगली कट ऑफ में दाखिला रद्द कराकर दूसरे कॉलेज में जाना चाहता है तो उसे कुछ ही राशि का भुगतान करना होगा। मसलन किसी कॉलेज में किसी कोर्स की फीस 5000 हजार है और किसी दूसरे कॉलेज में उस कोर्स की फीस 6000 है तो उसे केवल एक हजार का भुगतान करना होगा। अगर फीस कम है तो फीस वापस कर दी जाएगी।

ऐसे में दाखिले के समय परीक्षा फीस लेते हैं तो दाखिला रद्द कराने पर परीक्षा फीस वापस करने में भी दिक्कत होगी। यह परेशानी इसलिए भी बढ़ेगी क्योंकि अच्छे कॉलेज और कोर्स के लिए छात्र लगातार एक कॉलेज से दाखिला रद्द कराकर दूसरे कॉलेज में दाखिला लेते रहते हैं। मालूम हो कि पहले यह व्यवस्था थी कि परीक्षा फॉर्म हर सेमेस्टर से पहले भरवाए जाते थे और परीक्षा फीस ली जाती थी। परीक्षा फॉर्म भरने के लिए छात्रों को काफी दिन दिए जाते थे लेकिन आखिरी समय तक कई छात्र परीक्षा फॉर्म नहीं भरते।





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ट्रंप ने तोड़ी 212 साल पुरानी व्हाइट हाउस की परंपरा, नहीं दी इफ्तार पार्टी








अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में सालों से चली आ रही इफ्तार डिनर की परंपरा को तोड़ दिया है। व्हाइट हाउस में डिनर पार्टी रमजान के महीने में दी जाती थी। दिसंबर, 1805 में पहली बार पूर्व अमेरिका राष्ट्रपति थोमस जैफरसन ने इस इफ्तार डिनर की शुरूआत की थी। पहली इफ्तार डिनर पार्टी में राष्ट्रपति ने ट्यूनिशिया के राजदूत सिदी सोलमेन मेलीमेली को न्यौता दिया था। आज यानि सोमावर को दुनियाभर में ईद मनाई जा रही है।

212 सालों से चली व्हाइट हाउस में इफ्तार डिनर देने की प्रथा को समाप्त करने वाले मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने सबको चौका दिया है। क्योंकि इससे पहले अमेरिका के सभी राष्ट्रपति ने इस प्रथा का परंपरानुसार पालन किया। यहां तक कि पिछले साल पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी इस प्रथा को आखिरी तक जारी रखा। 

व्हाइट हाउस से इतर शनिवार रात को जारी किये बयान से ये जानाकारी मिली कि अमेरिका में मौजूद मुसलमानों ने विश्व में रमजान के महीने को विश्वास और चैरिटी के लिए मनाया, लेकिन अब लोग ईद परिवार और दोस्तों के साथ भी मिलकर मनाते हैं। इफ्तार डिनर की प्रथा को पड़ोसी देशों की सहायता करने और मधूर रिश्ते बनाने के लिए सदियों से जारी की हुई थी।

इस डिनर में अमरीकी मुस्लिम समुदाय के अहम लोग शामिल होते थे। इसके साथ ही इसमें कांग्रेस सदस्य और मुस्लिम देशों के डिप्लोमैट भी शरीक होते थे। बता दें कि ट्रंप के मुस्लिम समुदाय के साथ जटिल रिश्ते हैं और इस फैसले से पूरा देश आश्चर्यचकित है।




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