एक वर्ष में 39 हजार से अधिक संस्थागत प्रसव
ग्वालियर
| राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत ग्वालियर जिले में मातृ मृत्यु दर
और शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने के लिये डॉ. संजय गोयल के नेतृत्व में
सकारात्मक पहल की गई है। इसी का परिणाम है कि जिले के गत एक वर्ष 2016-17
में 39 हजार 239 सुरक्षित प्रसव शासकीय संस्थाओं में कराए गए हैं। जिले की
मातृ मृत्यु दर 181 प्रति लाख जीवित जन्म है जबकि सकल प्रजनन दर 2.1 और
जन्म दर 17.8 प्रति हजार है।
डॉ.
गोयल ने बताया कि जिले की स्वास्थ्य सेवाओं को ओर बेहतर बनाने के लिये सतत
प्रयास जारी हैं। जिनमें स्वास्थ्य संस्थाओं को सर्वसुविधायुक्त बनाया जा
रहा है। इसके साथ ही प्रत्येक गर्भवती महिला की प्रसव पूर्व चार जाँच
आवश्यक रूप से की जाती हैं। मातृ मृत्यु दर का सबसे बड़ा कारण माँ में
हीमोग्लोबिन की मात्रा की कमी होती है। इसे नियंत्रित करने के लिये गर्भवती
महिला को आयरन 200 गोलियाँ तथा 7 ग्राम से कम हीमोग्लोबिन होने की स्थिति
आयरन सुक्रोज इंजेक्शन या ब्लड यूनिट भी लगाया जा रहा है। जननी एक्सप्रेस
के माध्यम से गर्भवती माता को घर से चिकित्सालय तक लाने और डिलेवरी उपरांत
वापस घर तक भेजने की व्यवस्था की जाती है। चिकित्सालय में प्रसूता को
नि:शुल्क दवा, नि:शुल्क जाँच एवं नि:शुल्क भोजन के साथ ही जननी सुरक्षा
योजना के तहत शहरी क्षेत्र की प्रसूता को एक हजार रूपए तथा ग्रामीण क्षेत्र
की प्रसूता को एक हजार 400 रूपए प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जाती है।
प्रसूता को शासकीय अस्पताल आने के लिये प्रेरित करने वाली आशा और आंगनबाड़ी
कार्यकर्ता को भी शहरी क्षेत्र के लिये 400 रूपए और ग्रामीण क्षेत्र में
600 रूपए प्रदान किए जाते हैं। यही कारण है कि जिले की संस्थागत प्रसव की
स्थिति में बड़ा सुधार हुआ है।
उन्होंने
बताया कि ग्वालियर जिले में वर्ष 2016-17 में 33 हजार 620 प्रसूताओं को
जननी एक्सप्रेस के माध्यम से स्वास्थ्य संस्थाओं में लाया गया है। परिणाम
स्वरूप प्रसव के दौरान शिशु और माँ की मृत्यु को नियंत्रित किया जा सका है।
डॉ. गोयल ने बताया कि शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने के लिये जिला
चिकित्सालय में सिक नियोनेटल केयर यूनिट तथा बिरला नगर, भितरवार, डबरा में
एनबीएसयू न्यूबोर्न स्टेबलाइजेशन यूनिट तथा 25 प्रसूति सेवायें प्रदान करने
के लिये एनबीसीसी न्यू बोर्न केयर कर्सर की स्थापना की गई है। जिनमें
नवजात शिशु की सतत निगरानी की जाती है। इन सभी के परिणाम स्वरूप शिशु और
मातृ मृत्यु दर को नियंत्रित करने में सफलता प्राप्त हो रही है। MP Sab Kuch

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