Tuesday, 30 May 2017

दोनों किडनियां फेल, हर तीसरे दिन डायलिसिस; ICU में तैयारी कर पास की परीक्षा



परीक्षा में सफलता न मिलने पर आत्महत्या जैसे संगीन कदम उठाने वाले छात्रों के लिए अंशुल गौतम प्रेरणा हैं. 12वीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास करने वाली अंशुल की दोनों किडनियां खराब हैं. तीन दिन में एक बार डायलिसिस करना पड़ता है और परीक्षा देने के लिए परिजन उसे आईसीयू से सेंटर तक ले जाते थे.

मध्यप्रदेश के शिवपुरी के अधिवक्ता अजय गौतम की बेटी अंशुल ने रविवार को घोषित सीबीएससी के 12वीं के नतीजें में 65 प्रतिशत अंक हासिल किए. अंशुल के फर्स्ट डिवीजन पास होने की सफलता माउंट एवरेस्ट फतह करने जैसी मुश्किलों से कम नहीं हैं.

दरअसल, दिसंबर 2016 में पढ़ाई करने के दौरान अंशुल के चेहरे पर अचानक सूजन आ गई. स्थानीय डॉक्टरों ने प्रारंभिक जांच में किडनी में सूजन होने की बात कही, जिसके बाद परिजन उसे इलाज के लिए नई दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल लेकर गए. वहां एक महीने से अधिक समय तक आईसीयू में भर्ती रहने के दौरान मेडिकल जांच में पता चला कि अंशुल की दोनों किडनियां फेल हैं.

अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान ही परीक्षा की तारीख घोषित हो चुकी थी. स्कूल प्रिंसिपल ने अंशुल के पिता को फोन कर एग्जाम ड्रॉप करने सलाह दी. बेटी की हालत देख पिता भी इस बात पर सहमत हो गए थे.

अंशुल इस बात के लिए कतई राजी नहीं थी. वह हर हालत में परीक्षा देने के लिए तैयार थी. अंशुल के पिता और आईटीबीपी में कमांडेंट चाचा रवि गौतम ने डॉक्टर से मशविरा किया तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया. उनका कहना था कि परीक्षा सेंटर तक जाना तो दूर आईसीयू से बाहर जाने की हालत भी नहीं है.

सर्जरी के बाद पहुंची परीक्षा देने

सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान अंशुल ने पढ़ाई जारी रखी. 25 जनवरी को उसकी एक सर्जरी भी हुई. 30 जनवरी को अस्पताल से छुट्टी हुई, तो वह दिल्ली से सीधे शिवपुरी पहुंच गई.

-अंशुल को सर्जरी के कारण लिखने में दिक्कत थी.
-सीबीएससी से राइटर के लिए आवेदन किया गया.
-अंशुल के आवेदन पर सीबीएससी ने मुहर लगा दी.
-परीक्षा से पहले डायलिसिस व अन्य चेकअप कराने के बाद परिजन परीक्षा केंद्र पर अंशुल को ले जाते थे
-जहां उसने राइटर की मदद से परीक्षा दी.

आईएएस बनना चाहती हैं अंशुल

अंशुल स्वस्थ होकर आगे लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर आईएएस बनना चाहती हैं. परीक्षा में असफल रहने वाले और कम अंक लाने वाले बच्चों द्वारा आत्महत्या जैसे कदम उठाने वाले बच्चों से उसका कहना हैं, ' परीक्षा जिंदगी का केवल एक पहलू है, जिंदगी और जिंदादिली बड़ी है.'



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